चौसठ योगिनी


योगिनी का सम्बंध मातृका शक्ति से है।
8 मातृकाओं से 64 योगिनियों की व्युत्पत्ति हुई।

जो ज्ञान परंपरा का अंग बन गई।
योगिनियों के मंदिर मंडल और चक्र का वैकल्पिक रूप से उपयोग किया जाता था।
एक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओं से युक्त होता है।
एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओं से युक्त होती है।

शिव और शक्ति दोनों के मिलन से बनते है 32 + 32 = 64
इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना होती है।
ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतार रूप हैं।

समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से माना जाता है।
और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।

हर दिशा में 8 योगिनी फ़ैली हुई हैंl हर योगिनी के लिए एक सहायक योगिनी है। इस हिसाब से हर दिशा में 16 योगिनी हुई तो –

4 दिशाओ में 16 × 4 = 64 योगिनी हुई ।

64 योगिनी 64 तन्त्र की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।
ज्योतिष कुंडली में भी योगिनी दशा- अंतर्दशा भी विचारणीय होती है।

चौंसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार हैं –

1.बहुरूप, 2.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली,

17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति,

33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी,

49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर 64. भद्रकाली।

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